Wednesday 5 December 2012

क्यू अधूरी लगती है ज़िंदगानी...!!!

ज़िंदगी की शाम ढलती जा रही है..मोमबती की तरह जलती जा रही है..जितना भी सुधारना चाहू इस नादान ज़िंदगी को..उतनी ही ग़लतिया ओर  निकलती जा रही है.ना जाने कब  थामेगा ये करवा ओर आख़िर कब लगेगा Everything is perfact यार...!!!..

हम मे से कितने लोग इस life को 100% जी रहें है.? हर पल  enjoy  कर रहे है..कभी कोई  Something is Missing वाली Feeling  नही आती.मेरी गिनती से शायद ऐसे बहोत ही कम लोग होंगे.वैसे तो हम सब को सब कुच्छ जैसे मालूम ही है..की ये चीज़ ऐसी होगी..वो वैसी होगी..पर हम कभी ऐसे या वैसे जी ही कहा पाते है कभी...

ओर अगर देखा जाए तो हम मई से सयद  80% लोगो को Sucess के Fundas ओर Formulas मूह ज़ुबानी याद है..पर उन मे से सयद ही कोई उसे follow कर पाते है...हर किसिको ऐसा लगता है की कई तो कूछ है जो छूट रहा है..ओर क्यू नही लगेगा हम किसी चीज़ मई कभी कहाँ 100% होते है..

 अरे हम तो मज़े मे होते है तब भी 100% नही होते..हमारी हसी के पीछे एक उदासी जांक रही होती है..एक बार किसीने हमारे मन को बंदर के साथ कंपेर किया है..Strange but true..!!!." बंदर की तरह हमारा मन भी छलांगे लगता ही रहता है कभी एक बात पे टिकता ही नहीं...



हम जहाँ पpresent  होते है वहाँ कभी Actully   मे compeletly  present  होते..हमारे सामने कोई ओर है ओर फिर भी हमारी नज़रे किसी ओर को ही तलासटी होती है..हम देख कई ओर रहे है ओर कन किसी ओर ही जगह की बात सुन ने की कोशिश  मई लगे हुए है..
   "ओर हमारा दिमाग़ वो तो नवाब किसी ओर ही चीज़ के ख़यालो मे डूबे हुए है..ओर इन सब के अलग अलग चक्करो मई हम बोलना कुछ ओर चाहते है ओर मूह से निकल जाती है कोई ओर ही बात..



इस तरह अगर हम खुद काई टुकड़ो मे बटे हुए है .हर चीज़ दिल ,दिमाग़,आँखे सब एक दूजे क साथ होते हुए भी कहाँ साथ-साथ  है..Actully  हम इतने  खो गये है की खुद को ही नही ढूँढ पा रहे है..अगर इतनी सारी चीज़े ओर हम खुद missing है तो something is missing  वाली feeling तो आनी ही है ना..

यहाँ पे कोई 50% जी रहा है..ती कोई 25% जी रहा है..
अरी पर हद हो गई यार.... कोई कोई तो माइनस मे जी रहा है..
अब ज़रा आप सोच लो  जनाब की कहाँ  जी रहे हो..ओर कितने  percent   जी रहे हो..




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