पहेली पहेली मुलाकात...!
सुना तो बहोत है की जोड़िया तो उपर से बनकर आती है...सिर्फ़ मिलने मिलाने का खेल ही इंसान सजाता है पर.. ,,कभी कभी ये पहली मुलाकात History बन जाती है..ओर याद रह ही जाते है.....
वो हसीन से हालत...
दबी सी मुस्कान....
लाबो की खामोसी....
दिलो की रुकी सी धीमी धीमी धड़कन...
गुज़री हुई शाम....हाथो मे हाथ ओर प्यार के मुकाम.....
वो होता है ना की कुछ चहरे पहली नज़र मई ही दिल मे उतार जाते है...वो पहली मुलाकात की पहली पहली नज़र जब उठती है दीदार के लिए कभी कभी आँखो मे बस कर हमेशा के लिए रह ही जाती है वो तस्वीर प्यार के लिए....ओर उन हालत ने पलटी करवट उस तरह की ....उस चहेरे के नूर ने चलाया कुछ ऐसा जो असर की उनकी उठी हुई बेकरार नज़रो मे ये ज़ुकी नज़रे गिरफ्तार जो हो ही जाती है
ओर वो पहली बार मिली नज़रे एक दास्तान कह गयी..जो भी तुम ज़ूबा से कह ना सके वो बेज़ुबान ही समाज गये हम...ऐसा लगा जैसे ढूँढ ते रहे सारा जहाँ मे हम तुम्हे तुम थे कहाँ...?..ओर उन चाहेरे की खूबसूरती ती मानो इतनी नज़र आती है की कभी कभी तो ऐसा लगता है की...."खूबसूरती खुद उनसे थोड़ी सी खूबसूरती उधारी मे माँगे..."
मुलाकात अंजानो से यू ही तो नही हो जाती ना..मिलते तो ऐसे बहोत लोग होते है पर हर किसी मे वो बात कहाँ होती है जनाब....!!! अब तक ना जाने कितने लोगो से मिले होगे सयद आप..पर अब नही वो लोग याद है ना ही वो बाते...हम जिसे भी जहा भी जैसे भी मिले..उन सब मई शायद पहली मुलाकात ही सबसे खास होती है..क्यू की पहली मुलाकात एक बार मे ही बता देती है की..."हम फिर मिलेंगे... या फिर कभी नही मिलेंगे...
मेरे ख़याल से वो पहली मुलाकात की याद हर किसिके लिए बहोत खास होती ही है ...जो वो अपनी यादो के खजाने मे जिंदगी भर संजोगके रखते है...ओर रखे भी क्यू ना वो याद है भी तो उस इंसान की जिसे हम कभी भूलना ही नही चाहते....उस दिन के बाद उन होतो की हसी के साथ हमारी हसी ......आँखो से रोशनी..
ओर ज़िंदगी से ज़िंदगी जुड़ जाती है....
ये सब असर ही तो है वो पहली पहली मुलाकात का...
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