एक कदम पीछे देखने पर ही सीधा रास्ता भी खाई नज़र आए.....
किसिको इतना अपना ना बना की उसे खोने का डर लगा रहे......
उसी डर के बीच एक दिन ऐसा ना आए की तुम पल-पल खुद को ही खोने लागो....
किसिके इतने सपने ना देख..की काली सी अंधेरी रत भी रंगीन सी लगे....
ओर आँखे खुले तो बर्दास्त ना हो...जब सपना टूट-टूट कर बिखरने लगे....
किसिके बारे मे इतना ना सोच की सोच का मतलब ही वो बन जाए....
ओर भीड़ के बीच वो ना हो तो तन्हाई काटने को डोडे.....
ओर जब हो कोई तकलीफ़ उसे तो जाने ज़िंदगी के दो पल कम हो जाए....
किसिको इतना याद ना कर की हर जगह वही नज़र आए.....
रह देख-देख कर ऐसा ना हो की ज़िंदगी पीछे छूट जाए.....
ये सब सोच कर कहीं अकेले ना रहना......... किसिके पास जाने से ना डरना....
क्यू की वैसे तो अकेलेपन मई भी कोई गम नही....
पर कभी -कभी
खुद की परछाई देखकर भी लोग बोलते है..." ये तो हम नही..."
तो जनाब ज़रा संभलके....!!!!
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