Saturday 15 June 2013

' रुक जाना नहीं..!!!

कभी खुशीयो की आशा कभी गम की निराशा...
कभी . खुशीयो की धूप ...कभी हक़ीकत की  छाया..
कुछ खोकर कुछ पाने की रहे हर वखत आश्...
शायद यही है ज़िंदगी की परिभाषा......



कहते है लोग की बदले अगर किस्मत तो बने आमिर....
मगर इस दुनिया मे हमारे करमो की सोचे तो लोगो की उस सोच से परे है तकदीर........
कभी -कभी  किसीकि  ज़िंदगी देख कर खिलवाड़ लगती है ये किस्मत...ओर  खिलवाड़ लगती है ये  हाथो की लकीरे भी....

" सितारो की रोशनी भी कम है मगर उसे हटा दो तो सूरज की रोशनी मे भी कहाँ दम है...
हर पल लगता है वख्त है कम ओर जाना है बहोत दूर...कितनी है मुसीबते ओर. मंज़िल है बहोत दूर....
इस तूफान भारी रत मे उम्मिदो का दिया बुजने ना दे......मंज़िल अभी नज़दीक ही है...अपने कदमो को तू रुकने ना दे...

कामयाबी के भी कुछ उसूल होते है..जैसे हम इंसानो के नखरे भी फ़िज़ूल होते है...जो वखत की रफ़्तार पे चलते ऩही है वो तो मर-मिट के राख धूल ही होते है...
हर चीज़ मिल जाए ऐसा दुनिया मे कोई इंसान नहीं...
हर दम हरता ही जाए ऐसा भी दुनिया मे कोई बंदा नहीं....
जीत की ख्वाइश तो सबको है..पर इशके लिए  हारने से इनकार क्यू करे...मरने के डर से जीना तो यू बेकार नही कर सकते ना यार....क्या गम अगर ये धरती छूट जाए उड़ने को आसमान बहोत ज़्यादा है....







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