Sunday, 9 June 2013

बस इतनी सी चाहत...!!!



शब्दो को नहीं आँखो को पढ़ना चाहती हू...
लबज़ो को नहीं खामोसी को सुनना चाहती हू...



हर कोई खुली किताब नही होता ...
मे तो बँध किताब पढ़ना चाहती हू....
खामोश सवालो को पढ़ना चाहती हू...
उन कहे ख़यालो को सुनना चाहती हू.......


सच होते हुआ सपनो को नही..
मे तो अधूरे खवाबो को पढ़ना चाहती हू...

चाहेरे की सच्च्छाई पढ़ना चाहती हू...
बातो की गहराई सुनना चाहती हू...


Har kisika dil pak nahi hota ..
mai to napak dil ke Irade padhna chati hu....
Dabi hui aavaz sunna chahti hu...
Ruke hua aagaz sunna chahti hu....


थिरकते कदमो का ताल नही....
मे तो बेबस दिल का हाल सुनना चाहती हू......




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