Saturday 7 September 2013

कभी कभी दुनिया से दूर...!!!!

कभी कभी अकेला रहना भी कितना अच्छा लगता है ...अपनी दुनिया मे डूब जाना ही सबसे आच्छा लगता है...
कभी कभी लगता है सब कुछ है मेरे पास ओर कभी कभी लगता है जैसे कुछ भी नही.....
कभी कभी लगता है कुछ तो है जो मे समाज नही पा रहा हू...या फिर कभी  लगता है जैसे सब कुछ जान कर भी समजना नही चाहता...
कभी कभी लगता है सब कुछ मेरे पास है ओर कभी कभी जैसे कुछ भी नही है ....
कभी कभी लगता है पूरी दुनिया मेरे साथ है ओर कभी कभी जैसे सब कुछ पीछे रह गया है.....

                        

जब जब ऐसी कभी कभी वाली  Feeling आती है तब जाकर इंसान इस दुनिया से निकल कर अपनी खुद की दुनिया मे खो जाता है ओर अपने आपको संभाल ने की कोशिस करता है.....

 हर इंसान की अपनी दुनिया है...पर उस दुनिया से परे इंसान के मान अंदर एक ओर अलग ही दुनिया है....वहा भी उसके Friends है ओर कई सारे दुश्मन भी है...पर वाहा पे वो सब चीज़े आसानी से हॅंडल कर सकता है.....उस दुनिया के वातावरन मे खुद को  वो भली भाती संभाल पता है.... उस दुनिया के रास्ते भी उसे याद है वहाँ पे वो कहीं खो नही सकता है.......
                           

 पर जब वो उस दुनिया से बाहर निकलता है तो अकेपन की चिसे सुनाई देती है....क्यू की अपने मन की दुनिया मे वो बादशाह हुआ करता है... वाहा उसे लोगो की सलामे ज़िलने की आदत पड़ चुकी है.. वाहा हर् शॅक्स उसका हुक्म माने को तैयार है.... वाहा हर चीज़ वो अपने हिसाब से करता है... वहा वो अपने आपको इस दुनिया मे सबसे उपेर मान चुका है...  पर जब अपने मन की इस  शाही सलटनत से बाहर निकलता है है तो खुद समज नही पता की वो है कोन
...??..!! 

क्यू की बाहरी दुनिया मई वो अपने आप को संभाल नही पता... ओर अपने आप को सबसे नीचा संजने लगता है क्यू की वाहा ना ही वो बादशाह है ओर ये पूरी दुनिया उसकी गुलाम... अपनी सारी  कामयाबी उसे नाकाम लगने लगती है....
                            

तब जाके फिर कोई रह पे बैठ ही जाता है वापस अपने मन की दुनिया मे.....जहाँ पे वो अपने आप से बाते कर सके.. कभी तो खुद से ही ज़गड़ लेता है " की ऐसा करना चाहिए था या वैसा करना चाहिए था...!!!"
तो कभी कभी तो खुद की ही तारीफ करने लगता है जनाब ..... वहा पे उसे किसिके बारे मे सोचने की ज़रूरत ही कहाँ क्यू की जब अपने लिए  हर चीज़ Perfact नज़र आती है...  अपने आपको सबसे ख़ुश समजने लगता है दोबारा....
इसलिया तो लगता है  कभी कभी तो.... "क्यू सोचु मे उस दुनिया के बारे मई जब इतनी हसीन है मेरी खुद की  दुनिया....!! " 
                           


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