Tuesday, 4 November 2014

आ ज़रा सुन ले आवाज़ तू मेरे दिल दी ..!!

ये भी अच्छा है कि ये सिर्फ़ सुनता है
दिल अगर बोलता तो क़यामत हो जाती
जो आप के साथ दिल से बात करता हो हो सके तो उसको कभी दिमाग़ से जवाब मत दिया करो...क्यूकी ज़िंदगी मे दिल के करीब तो बहुत लोग आ जाते हैं...दिमाग ही है जो सोच सोच के परेशान करता है...!!अनकहे शब्दों के बोझ से थक जाते है हम  कभी कभी,पता नही खामोश रहना समझदारी है या मजबूरी..जो मन मे है वो बोला दिया करो..क्यूकी दूरियाँ जब बढ़ती है तो गलतफहमियां भी बढ़ जाती है....फिर सामने वाला इंसान वो भी सुनता है जो हमने कहा ही नही..!!!


कभी  कभी ऐसा भी होता है की हम समाज ही नही पाते ....दिल की बात कहें तो कहें कैसे,कहना तो है बहुत कुछ होता है हमे  पर शुरुआत करें तो करें कैसे….ख़यालों मे तो हर रोज़ बातें किया करते हैं..पर पता नही रूबरू बयान करें तो करें कैसे करे....!


ये सच है की नहीं भूलती दो चीज़ें चाहे जितना भुलाओ..
 घाव"ओर  लगाव"..
.कभी कभी हमारी निगाहें जिसे ढूंढ़ती है, उस  इंसान को ही देखना नही चाहती है......!!
कभी कभी  नही चाहती ज़िंदगी  कि बहुत लोग पढ़े हमारे जज़्बात को मगर हम चाहते  है की हमारे शब्द सिर्फ  उस इंसान तक ही पहुँच जाये  इतना ही काफी है....!! हमे पता नही चलता  न जाने कब उसकी जिन्दगी का
बीता हुआ कल बन गए होते है..और वो आज भी हमारे आज में सामिल होते है.....!!
हमे नही खबर होती कि उस इंसान की  जिन्दगी में वो कौन सा पल है.....???
जो सिर्फ हमरे लिए हो.....
पर फिर भी  जिन्दगी का हर इक पल.....
सिर्फ़ उनके  लिए होता है..........!! ज़िंदगी की बुरी हक़ीकत सिर्फ़ इतनी होती है की इंसान जिस पर अपना हक सब से ज़्यादा  समजता है वो हर अमानत किसी ओर की होती है...!! :)

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