Sunday 14 December 2014

कुछ तुझ जैसा, कुछ मुझ जैसा...!!!!

"एक काम करना -
थोड़ी सी मिट्टी लेना,
उससे दो प्यारे-से दोस्त बनाना:
इक तुझ जैसा, इक मुझ जैसा;
फिर उनको तू तोड़ देना
और मिट्टी आपस में मिला देना।
फिर उस मिट्टी से दोबारा दो दोस्त बनाना:
इक तुझ जैसा, इक मुझ जैसा;
ताकि तुझ में कुछ-कुछ मैं रह जाऊँ
और मुझ में कुछ-कुछ तू रह जाए.
कुछ तुझ जैसा, कुछ मुझ जैसा!!!!



No comments:

Post a Comment