Monday 23 May 2016

ज़िंदगी की उलझनों ने हमारी शरारतें कम दी, और लोग समझने लगे की हम समझदार हो गये..!!!!.

कुछ लोगो से हम बेवजह मुस्कुरके मिलते है...!!!
ओर कुछ लोगो से मिलकर हम बेवजह ही मुस्कुरा देते है.... कुछ लोग ऐसे होते हैजो दिल के बँध
दरवाजे पर दस्तक देते रहते है....ओर कुछ लोग ऐसे जो बँध दरवाज़ा देखकर खिड़की से अंदर आ जाते है....!!!
कुछ  हमेंशा खुश...
कुछ हमेंश ख़ुशियो की तलाश मे ....



ओर कई बार ऐसा हुआ ना हम जिन खुशियो के पीछे भागते रहे वोही ख़ुशिया  पॅल्को के नीचे दभी हुई मिलि......पर हम महसूस ही नही कर पाए...!!


ओर कितनी अजीब बात है ना ...!!!कुछ चीज़े जिनसे हम पास ना होते हुए भी दूर नही हो सकते...कहीं ना कहीं उन चीज़ो का वजूद हम से जुड़ा रहता है....कुछ गलिया कुछ घर यादो की तरह होते है... हम उससे कितने ही आगे या दूर निकल आए वो हमे एक पल मे ही अपने पास ले आते है....हम समझते कम समझाते ज़्यादा है...शायद इसीलिए सुलझते कम उलझते ज़्यादा है...!!!

ज़िंदगी की इसी उलझनों ने हमारी शरारतें कम दी,
और लोग समझने लगे की हम समझदार हो गये..!!!!.


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